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Shipra Khanna

Children Stories

4  

Shipra Khanna

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अंधी दौड़

अंधी दौड़

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समय की अविरल धारा में,

शोहरत की मौज मस्ती में,

जाने कब,सब छूट गया,

वो संगी साथी, जो थे कभी खास अपने,


सुख-दुख में जो थे सब साथ खड़े,

कहां छूट गये, कब रुठ गये

न चला पता, आगे बढ़ने की इस अंधी दौड़ में,

मंजिल पाने की होड़ में,


न जाने कहां जा रहा तू,

भाग रहा बस भाग रहा तू,

बन गया कब मानस से शैतान तू,

उधेड सब लाज शर्म ,अब हो गया हैैवान तू,


रह गया अकेला तू, इस अंधी दौड़ में,

झूठ मक्कारी के मकड़ जाल में,

ईर्ष्या द्वेष के अन्धकार में,

तोड़ भरोसा किया घायल हर रिश्ता,,


डाली नींव जब धोखे की, चैन नहीं तू पायेगा,

झूठ की इस माया नगरी में, टूट कर तू रह जाएगा

स्वार्थ की इस दौड़ में बना बैठा है

राजा तोड़ संवेदनाएं सबकी, हो जाएगा बेसहारा तू।


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