मेरे अल्फ़ाज़
मेरे अल्फ़ाज़
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तुम ख़रीदो खुशियां जमाने की,
मैं सुर्ख यादें लेकर कहांं जाऊं।
तुम सजाओं महफिलें रंगीन,
मैं उड़े रंग लेकर कहां जाऊं।
तुम सजाओं सपने सुहाने,
मैं टूटे ख्वाब लेकर कहां जाऊं।
तुम रहो मस्ती में चूर,
मैं उदासी लेकर कहां जाऊं।
तुम तमन्नाओं की बहार लाओ,
मैं नम आंखें लेकर कहां जाऊं।
तुम्हें तो यादें भी चुभती है मेरी,
मैं गम भरा दिल लेकर कहां जाऊं।
तेरी शिकायत तो कर दी तुझी से,
ख़ुद की शिकायत लेकर कहां जाऊं।