हवाओं के पैर बेड़ियो में बंधे है, सपनो का ज़हर ज़हन में घुला है. हवाओं के पैर बेड़ियो में बंधे है, सपनो का ज़हर ज़हन में घुला है.
और इंसान बस खड़ रहा... हे इंसान तेरी चाहत है क्या.... और इंसान बस खड़ रहा... हे इंसान तेरी चाहत है क्या....