टूटे रिश्तो की जमीन पर नए रिश्ते पनप न पाएंगे । टूटे रिश्तो की जमीन पर नए रिश्ते पनप न पाएंगे ।
वो खुलकर जीना भी क्या जीना था जब बहता मेहनत का पसीना था वो खुलकर जीना भी क्या जीना था जब बहता मेहनत का पसीना था