मै कैसी हूँ?
मै कैसी हूँ?
मैं कौन हूँ, मैं कैसी हूँ?
मैं समझदार हूँ या अभी भी नादान हूँ
मैं चालाक हूँ या अभी भी मूर्ख हूँ
शायद कुछ लोगो को मैं समझदार
लगती हूँ, पर मैं नहीं मानती।
क्यों ? क्या मुझे खुद पर विश्वास नहीं या
दूसरे मुझ पर ज़्यादा ही विश्वास करते है।।
मैं फैशनेबल नहीं बन सकती या
मैं बनना ही नहीं चाहती ।
मुझे सादगी पसंद है,
तो क्यों मेकअप करने
वाली गर्ल्स को मैं सुन्दर बताती हूँ।।
मैं दूसरों के अनुसार
अपने को ढाल लेती हूँ
अपने मन की कभी नहीं करती हूँ।।
दूसरों को बुरा ना लग जाये,
यह ज्यादा सोचती हूँ
खुद को बुरा भी लगे तो,"कोई बात नहीं"
यह कहके टाल देती हूँ
शायद इसीलिए कुछ लोग मुझे
समझदार मानते हैं
क्योंकि मैं वही कहती और
करती हूँ जो वे चाहते हैं।।
लेकिन मेरी मर्जी, मेरी सोच,
मेरी इच्छाएं कहाँ गयी
दूसरों जैसा बनने की होड़ में ,
मैं खुद को भूल गयी।।
ज़रुरी तो नहीं की जैसा दूसरा सोचे
वैसा ही मैं सोचूं
ज़रुरी तो नहीं की वे पूरी तरह सही हो
और मैं पूरी तरह गलत।।
जैसे सबकी नज़र और
नज़रिया अलग है
वैसे ही सबके भाव और
भावनाएं भी अलग है।।
हो सकता हैं मैं अपने विचारों से
सबको सहमत ना कर सकूँ
लेकिन अपने विचार तो रखूँ ताकि
उनमें शामिल कमियों को
दूर कर सकूँ।।
