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Vivek Sharma

Others

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Vivek Sharma

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मांग ? क्या मांगेगा?

मांग ? क्या मांगेगा?

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मांग ?

क्या मांगेगा अब?

दिल तो पहले ही तेरे पास है !

जान मांगेगा ?

जान तो तेरा हर रुखा शब्द अक्सर निकल ही देता है !

कुछ और मांग के देख , हाज़िर न कर पाया तो में आशिक़ ही कैसा ?

मेरे आसमान का तू चाँद है,

में तेरे आसमान का एक तारा भी न बन सका तो में इंसान ही कैसा ?

तेरे दिन तो तू उसे दे ही चूका है ,

तेरी रात का एक लम्हा भी न बन सका तो मेरा इस दुनिया में वजूद ही कैसा ?


मांग ?

क्या मांगेगा ?

खुशी तो तेरे चेहरे पे उसे देखने से आती है,

में तेरी हंसी का एक कारन भी न बन सका तो में साथी ही कैसा?

आंसू तो तेरे उसे जाते देख आते है,

मेरे जाने पे तेरे चेहरे पे एक शिकंज ही न आए तो मेरा तेरी ज़िन्दगी में मतलब ही कैसा ?

तारीफ तो तू उसकी सुन न चाहता है,

मुझसे तारीफ़ सुन तू मुस्कुराए ही न तो में आदमी ही कैसा?



मांग?

क्या मांगेगा?

रोना तो तू उसके कंधे पे सर रख के चाहता है,

मेरे हाथ को तू पल भर के लिए थामने लायक ही न समझे तो में तेरे किस काम का रहा?

कविताए तो उसकी तुझे भाति है,

मेरी एक पंक्ति भी तेरे दिल को छु न पाए तो मेरी कलम का काम ही कैसा ?

दुःख में अगर तुझे वो याद आए,

तो भला में तेरा दोस्त ही कैसा?


मांग ?

क्या मांगेगा अब?

दिल तो पहले ही तेरे पास है !

जान मांगेगा ?

जान तो तेरा हर रुखा शब्द अक्सर निकल ही देता है !

कुछ और मांग के देख , हाज़िर न कर पाया तो में आशिक़ ही कैसा ?

मेरे आसमान का तू चाँद है,

में तेरे आसमान का एक तारा भी न बन सका तो में इंसान ही कैसा ?

तेरे दिन तो तू उसे दे ही चूका है ,

तेरी रात का एक लम्हा भी न बन सका तो मेरा इस दुनिया में वजूद ही कैसा ?


मांग ?

क्या मांगेगा ?

खुशी तो तेरे चेहरे पे उसे देखने से आती है,

में तेरी हंसी का एक कारन भी न बन सका तो में साथी ही कैसा?

आंसू तो तेरे उसे जाते देख आते है,

मेरे जाने पे तेरे चेहरे पे एक शिकन ही न आए तो मेरा तेरी ज़िन्दगी में मतलब ही कैसा ?

तारीफ तो तू उसकी सुनन चाहता है,

मुझसे तारीफ़ सुन तू मुस्कुराए ही न तो में आदमी ही कैसा?



मांग?

क्या मांगेगा?

रोना तो तू उसके कंधे पे सर रख के चाहता है,

मेरे हाथ को तू पल भर के लिए थामने लायक ही न समझे तो में तेरे किस काम का रहा?

कविताए तो उसकी तुझे भाति है,

मेरी एक पंक्ति भी तेरे दिल को छु न पाए तो मेरी कलम का काम ही कैसा ?

दुःख में अगर तुझे वो याद आए,

तो भला में तेरा दोस्त ही कैसा?


मांग ?

क्या मांगेगा?


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