ख्वाब!
ख्वाब!
दिल में ख्वाब लिए सोता है वो,
फिर हर सुबह का सामना कर दिल को खोता है वो !
कहने की हिम्मत जुटा के आगे बढ़ता है वो ,
फिर उसकी आँखों को अपनी ओर
देखते देख दिल को संभाल नहीं पाता है वो !
खुद को आशिक़ कहके ,
डरता काफिर की तरह है वो !
सोचता कुछ नहीं ,
खुशी में सब बोल देता है वो !
फिर उसके रोने पे उसको हंसाता है वो,
रोज़ रात अँधेरे से डर के फिर अकेला बैठ रोता है वो !
दिल में ख्वाब लिए सोता है वो,
फिर हर सुबह सच्चाई का
सामना कर दिल को खोता है वो !
उसे गिरता देख हाथ आगे बढ़ता है वो ,
खुद गिरता है मगर दिखता नही है वो !
अक्सर दिल को समझाता है वो,
फिर उसके सामने आते ही दिल के
आगे हार मान लेता है वो !
खुद को आवारा पंछी बताता फिरता है वो,
फिर हर रात खुद को उसकी
यादो के पिंजरे में कैद पता है वो !
दिल में ख्वाब लिए सोता है वो,
फिर हर सुबह सच्चाई का सामना
कर दिल को खोता है वो !
कहता है दिल प्यार के आगे
सच्चाई को भूल जाता है,
फिर आपने ख्यालों में
उसको अपना बना लेता है !
कहता है दिल ही हार जाएगा
तो दिमाग भी काम नहीं कर पाएगा,
इसलिए दिल को ख्यालो की
झूठी डोर में लपेट लेता है वो !
दिल में ख्वाब लिए सोता है वो,
फिर हर सुबह सच्चाई का
सामना कर दिल को खोता है वो !
