करे नर नारी सच्चे मन से जाप तुम्हारा, जीवन भर धन दौलत का वो भंडारी हो। करे नर नारी सच्चे मन से जाप तुम्हारा, जीवन भर धन दौलत का वो भंडारी हो।
धरती, अब समझा, माँ क्यों केहलाती है अनगिनत बीजों का गर्भ धारण करती है। धरती, अब समझा, माँ क्यों केहलाती है अनगिनत बीजों का गर्भ धारण करती है।