मां की यादें
मां की यादें
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मां तुम्हारी बड़ी याद आती है ,
मेरी बेटी जब अपना हैंडवर्क ,
उलझा कर मेरे पास आती है,
उसके लगाए उल्टे सीधे टांके उधेड़ती हूं,
उसे पास बिठा उसका काम समेटती हूं,
रंग बिरंगे धागों की डोरियां ,
समय चक्र घुमाती हैं,
याद आते हैं वो दिन..
जब मैं भी ऐसे ही,
धागे उलझा तुम्हारे पास आती थी,
तुम बिन माथे कोई शिकन लाए,
प्यार से मुझे पास बिठा,
रंगबिरंगे फूल काढ़ने सिखाती थी।
देखो , तुम्हारा रोल आज मैं भी,
निभा रही हूं,
तेरे हाथ का हुनर ,
तुझे याद करते करते,
अपनी बेटी को सीखा रही हूं
और तेरी यादों में खोए हुए,
आंखों की नमी छुपा रही हूं।
सच में मां...
तुम्हारी बड़ी याद आती है...
