STORYMIRROR

Deepali Mirekar

Others

4  

Deepali Mirekar

Others

लावारिस

लावारिस

1 min
386


चुका रहा हूं मोल में,

 न जानें किस गुनाह का।


हूं मैं दर्पण सभ्य खोखले समाज का,

जिसकी विशाल दृष्टि कोनता में न मिला मुझे कोई सम्मान।


वारिस से लावारिस बना दिया गया,

क्या था अपराध मेरा ??

हूं मैं निशानी किसी के प्रेम की

या हूं किसके अपराध की निशानी?


क्या गलती है मेरी 

क्यू में अनजान हूं अपने ही अस्तित्व से? 


अब तो सीखा है

जीने का नव तरीका,

दिल में दर्द होटों पर मुस्कान रखता हूं,

इंसान हूं इंसानियत का जज्बा रखता हूं।


आंखे शोधत है

सुकून का रास्ता,

कौन में क्या अस्तित्व है मेरा

क्यू ममता का आंचल से बिछड़ गया?


अभागा में या अभागी है किस्मत मेरी,

परिवार के सुख से जो बेखबर में हो गया,

अपनों से ठुकराया गया

लावारिस में हो गया।


Rate this content
Log in