STORYMIRROR

Sourabh Kumar Shrivastava Shubh

Others

2  

Sourabh Kumar Shrivastava Shubh

Others

कविता

कविता

1 min
264


मशरूफ है महफिलों में वे बहुत लेकिन,

आशियां उजड़ रहा उनको परवाह नहीं है ।।


मशहूर है रिश्ते बनाने में वो नए लेकिन,

कोई अपना बिछड़ रहा उनको हवा ही नहीं है ।।


सुना है रूतवा बहुत है शहर में उनका,

घर में कोई बात मगर करता भी नहीं है ।।


दिन भर चमकता है सूरज की रोशनी से,

जलाने को रात में एक भी शम्मा नहीं है ।।



Rate this content
Log in