कर्मयोद्धा
कर्मयोद्धा
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स्तब्ध भी और मौन भी,
जाना भी, अनजाना भी,
किसी की दुनिया, किसी का प्यार,
किसी के जीवन का आधार भी,
माँ का लाड़ दुलार भी,
परिवार का संसार भी,
एक नारी का प्रश्न भी,
अपने लाल का उत्तर भी,
एक अधूरा पूर्णविराम भी,
जीवन का अटल सत्य भी,
हे ह्रदय गति तू क्यों थमी,
क्यों उसका संसार भी,
हे ईश्वर, अपूरणीय क्षति दे गया,
क्यों उसे तू यूँ ले गया,
क्यों हमारे वीर को तू,
जंग के बीच ले गया,
कर्मयोद्धा हमारा,
हारा नहीं जीत के गया,
जाते जाते भी सीख दे गया,
जीवन क्षणभंगुर है बता गया,
आभार करो हर पल जीवन का,
मुस्कुरा के कह गया,
कर्म ही जीवन का सार है,
कानो में बुदबुदा गया,
कल आज, कल हो जायेगा,
दोस्त तू हमेशा याद आएगा,
शत शत नमन हे ब्रज के ईश,
तेरा परचम हमेशा लहराएगा,
...तू याद आएगा!
