कोई और था
कोई और था
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बेपनाह मोहब्बत का कुछ इस तरह हुजूम था
की मैं उसके बांहों में और दिल में कोई और था
इश्क मोहब्बत बाते है इसमें मदहोश ना होना हैं
उपर से मेरे लिए प्यार और अंदर बैठा कोई और था।
इस दोमुखी के दुनिया में जरा चलना संभल कर मेरे दोस्त
क्योंकि मैंने देखें हैं सामने कुछ और पीछे कोई और था।
कहते थे निभायेंगे तेरा साथ हर कदम और हर मोड़ पर
लेकिन बाद देखा साथ निभाने के लिए उसके पास कोई और था।
कसमें वादे सब खाये मेरे नाम पर
लेकिन उन कसमों को निभाने के लिए उसके पास कोई और था
बहुत सहे इस बेवफाई का आलम मेरे दोस्त
उसके पास कई और मेरे पास कोई और न था।
