कलाकार मन के जागने का किस्सा
कलाकार मन के जागने का किस्सा
आज आओ हम आपको अपनी कथनी सुनाते हैं। अपनी कलाकारी के जागने के हम किस्से सुनाते हैं। 58 साल पहले की दुनिया में हम आपको ले चलते हैं। एक दोस्त थी हमारी बहुत प्यारी। दक्षिण भारत से जो है आई थी शायद आईएएस ऑफिसर या कलेक्टर की लड़की। उस समय के मशहूर क्रिकेटर की थी वह बहना। बहुत पटती थी हम लोगों की स्कूल में होता था साथ हमेशा रहना एक बार बहुत दिवस स्कूल नहीं आई। स्कूल के बगल में ही मकान होने से हम उसके घर चले गए।
बहुत बातें करी उसके हाल चाल पूछे। उसकी मम्मी ने हमको उपमा खिलाया। जिंदगी में पहली बार हमने खाया था उपमा
नाम भी हमने पहली बार सुना था। हमने आंटी से पूछा यह क्या है उन्होंने बताया। कैसे बनता है यह भी बताया। किस से बनता है यह भी बताया। तो हमारा चंचल और कुतूहलता से भरा बदमाश मन का कलाकार जाग गया। मन में ठान लिया यह सामान तो घर में भी मिलेगा। मैदान खाली देख कर उपमा तो मुझको बनाना ही पड़ेगा। चौदस के दिन माताजी जाती थी मंदिर सुबह से रात तक। खाना हम भाई बहन को मिलकर ही बनाना होता तो मैदान था साफ।
अपनी एक मित्र को साथ ले हम उस दिन घर आए। सारी तैयारी पहले से कर रखी थी। मगर कुछ स्टेप हम भूल गए।
थोड़ा सा सूजी को सेका और घोल दिया नमक के पानी में थोड़ा उबाला। मन में खुश हो गए बन गया है हमारा उपमा।
और मित्र के सामने रख दिया। उसने भी शर्मा शर्मी खा लिया। ऐसा ज्यादा कुछ बोला नहीं हां अच्छा बना है। अच्छा बना है।
करके फिर जब हमने खाया। तब पता लगा। यह तो नमक वाली लेई बन गई है। बहुत हंसे, हम बहुत हंसे। मगर खाना बनाने का शौक उस दिन के बाद और ज्यादा हो गया। और हमने बहुत तरह तरह का खाना बनाना सिखा। और बना कर खिलाया। अपने भैया और पिताजी को खिलाया। जब उनको पसंद आता तो किसी दूसरे के सामने रखते। हमारी वह मित्र आज भी वह याद करती है। और बहुत हंसती है। उपमा के खाने के लिए ही तो मुझको घर ले गई थी ना। तेरा गिनी पिग तो मुझको ही बना गई थी ना। मगर आज सब हैं हमारी कुकिंग विद्या के कायल। शुरुआती समय जो हमने आपको बताया ने हमको बहुत कुछ सिखाया। साथ में भाई का हमेशा बढ़ावा। उसने जिंदगी में हमको बहुत आगे बढ़ाया। बचपन के समय में प्यारे भैया का साथ ।
हर नई चीज बनाने में उनका योगदान और उत्साह वर्धन जिसको जिंदगी भर कभी हम ना भूल पाएंगे। प्यारे भैया का साथ तो बहुत ज्यादा नहीं रहा। मगर हमारे दिल और हमारी यादों में है जिंदा जिनको कभी ना भूल पाएंगे। आज भी जब दम आलू बनाते हैं तो सबसे पहले उनको ही करते हैं याद।
तो यह थी हमारे खाना बनाने के कलाकार की शुरुआत की दास्तां। आज फिर वह भूली दास्तां याद आ गई। बचपन की की हुई शैतानियां सारी याद आ गई। साथ में मम्मी की डांट भी याद आ गई। शुरुआती कलाकार मन के जागने की बात याद आ गई।
