किस्मत या भावनाएं
किस्मत या भावनाएं
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सब कहते हैं हम अपनी किस्मत
ऊपर से लिखवा कर आते हैं।
कहते हैं वक्त से पहले और
किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता।
अगर जन्म के साथ ही किस्मत हमारी तय है तो
भगवान आपने हमें न दिल दिया होता न दिमाग।
सब अपनी-अपनी किस्मत के सहारे जीते।
न कुछ सोचने की शक्ति होती न कुछ चाहने का मन।
न किसी को पाने की इच्छा होती न किसी को खोने का ग़म।
न ईर्ष्या भाव होता न घमंड और न प्यार होता न नफरत।
लेकिन अगर सोचा जाए तो इन सब भावनाओं के बिना
क्या हमारी जिंदगी " जिंदगी" कहलाती?
क्या बिना किसी भावना के हम " जिंदा" कहलाते ?
