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Sunita Agarwal

Others

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Sunita Agarwal

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ख़्वाहिशें

ख़्वाहिशें

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बचपन की ख़्वाहिशें

आज भी ख़त लिख देती हैं मुझे,


जवाब नहीं मिलता तो ढूंढ़ती हैं,

तलाशती हैं मुझे.…और फिर झकझोर देती हैं मुझे,


शायद यही मुझे उकसाती हैं,मना करने पर

रूठ जाने की धमकी भी देती हैं मुझे।


वाक़िफ़ हैं हालातों से मेरे....फिर भी।

बचपन की ख़्वाहिशें आज भी ख़त लिख देती हैं मुझे।।


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