जब इच्छा मन में रह जाती है
जब इच्छा मन में रह जाती है
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जब इच्छा पूरी होते होते रुक जाती है
तो मन में घड़ी की तरह सुई रुक जाती है
फिर उस इच्छा को देखने तक का मन
नहीं करता
फिर जैसे वह एक सपना बनकर रह जाती है
और कहीं खो जाती है
लेकिन किसी ना किसी दिन वह फिर
सामने आ जाती है
और फिर रुला जाती है
जैसे उसका कोई मतलब ही नहीं
बस वो एक याद बनकर रह जाती है
जब इच्छा पूरी होते होते रुक जाती है
तो मन में घड़ी की तरह सुई कहीं
अटक जाती है
