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मुकेश बोहरा अमन

Others

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मुकेश बोहरा अमन

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जाड़े की आहट

जाड़े की आहट

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जाड़े की आहट , 

आने लगी है ।

फिजां में मोहब्बत, छाने लगी है ।।1।।


सूरज की किरणें, 

जरा-सी, जरा-सी,

धीमी औ मीठी, होने लगी है ।।2।।


खेतों में खुशबू , 

छन-छन, छनाछन ,

शिशिर की हवाएं, गाने लगी है ।।3।।


घर की गौरेया, 

संध्या सुहानी ,

जरा-सी वो जल्दी, सोने लगी है ।।4।।


बुजुर्गाें को बदली, 

पगली हवाएं ,

इशारे-इशारे , सताने लगी है ।।5।। 


सर्दी है सर्दी, 

बड़ी है बेदर्दी ,

अपना असर वो, बताने लगी है ।।6।।


सर्दी की रातें, 

पागल मोहब्बत ,

अमन को ठिठूरन, फंसाने लगी है ।।7।।



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