हुनर
हुनर
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रौशन नहीं है दिल चिराग ढूँढ़तें हैं ।
खुद का खुद में ही आजकल सुराग ढूंढते हैँ।
नामंजूर है बयाँ हो जाना ,
आँखों का दिल से फिराक ढूँढ़तें हैँ ।।
