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Omkar Pokale

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हरिहरेश्वर

हरिहरेश्वर

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( हरिहरश्वर अर्ध शिव और अर्ध विष्णू का रूप है)

नाम रूप है भिन्न भिन्न पर परब्रम्ह वो एक है I

ब्रह्मलोक, कैलाश हो या हो वैकुण्ठ ओंकार स्वरुप एक है I


ब्रह्म, विष्णु, महेश यह लंब रुंद वे कल है I

आदि अनंत सत्य अस्तित्व वह ही त्रिकाल है I


वही नीलकंठ, धनञ्जय वही सदाशिव मृत्युञ्जय है I 

वही मनोहर वही मधूसूदन वही श्रीराम अजय हैं I


हाथ मे हो त्रिशूळ या उंगली मे सुदर्शन है I

हो कंठ हार वासुकी या शेशनाग का शयन है I


है वही दाता वही करता वही माता जननी है I

हरिहरेश्वर वो सदसंपूर्ण भेद करता इनमे अज्ञानी है I


यह सृष्टी यह धन यह माया यह तन , साब आपके अधिन है I

अर्पण क्या करू प्रभू आपको ये तन भी आप ही की देण है I


सदालीन मन मेरा सार्थी मेरे आप है I

अर्जुन बन शरण मे आपकी अब कर्म मेरा सार्थ है I


बनू पवनपुत्र मै हनुमान जैसा महादेव जो गुरु है I

बनके हरिहरेश्वर के दास , अब हर कर्तव्य मेरा धर्म है I



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