हर शब्द की परिभाषा
हर शब्द की परिभाषा
हर शब्द की परिभाषा
सबके लिए अलग - अलग है,
यह जान पायी जब
गौर से महसूस किया,
उस बीमार खामोश
शरीर को,
जो जीवन भर तपता रहा,
सूरज की गर्म चिंगारियों में,
आज लेटे हुए
वृद्धाश्रम के एक कमरे में,
उस सूरज का इंतज़ार है,
पुकार रही थरथराते लबों से
सूरज! सूरज!
क्या कोई जान पाया वह
चाहती थी क्या?
उन जलती किरणों को
क्या कर रही थी याद ...
रह ना पायी और पहुँच गयी
उस आधे बेजान शरीर तक,
आँखें जो सदा के लिए बंद होने से पहले
रास्ता रही थी तक,
पूछा, माँ, किस सूरज का है
इंतज़ार तुम्हें,
देखो वह फैला है उसका उजाला
रहा वो कबसे निहार तुम्हें,
शायद वह आखिरी मुस्कान थी
उन रूखे होंठों पर,
बोली वह सूरज जिसके लिए
सूरज में जली हूँ,
मेरा सूरज जिसके लिए
हर रूप में ढली हूं,
ताकते उस सूरज को
आखरी हिचकी ले गयी,
अंतिम विदा ले, हमें
वो दुःख व आंसू दे गयी,
राख बन जिन बांहों में,
उस दुखिया का शरीर लेता था,
वह सूरज और कोई नहीं
उसका निष्ठुर निर्दयी बेटा था...