STORYMIRROR

Harisingh Meena

Others

4  

Harisingh Meena

Others

हंस चला अपनी राह अकेली

हंस चला अपनी राह अकेली

1 min
384

दीपक बाती में चिंगारी

लो फूटी बीती रात अंधेरी

पलक खुली 

देखी दुनिया तेरी मेरी

जग मकड़ी जाला उलझ घनेरी

माया मीत लगी 

सत सुद बिसरी

करता अबकी अबकी

बीती उम्र पलकी

दीपक की माटी

तेल बचा ना बाती

ज्यों आया चलने की तैयारी

पीटूँ छाती

माया काम न आती

झूठी तेरी झूठी मेरी

दो पल की है जिंदगानी

दो मीठे बोल की यारी

बस यही है अमर निशानी

होश रहे तो भरो खजाना वरना तो लुट जानी

सूरज दिखे जावे भोर सुहानी

दिन बीत्यो पण तप्त रही

आशा तृष्णा नाच रही

मदमाती सांझ की लाली

छूट गया जग संगी रहे ना साथी

हंस चला अपनी राह अकेली।।



Rate this content
Log in