गूँगी स्थिरता
गूँगी स्थिरता
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दृष्टि की सीमा तक फैला यह छोटे बड़े पत्थरों का विशाल संयोजन हरियाली चादर ओढ़कर कहीं सफ़ेद रुई की बड़ी गठरी सा कहीं मटमैली वीरानी से ये पहाड़ ये पहाड़ न कभी कुछ बोले है और न कभी कुछ बोलेंगे किसी अज्ञात गूँगी स्थिरता में खोऐ हुऐ आसमान सर पर उठाऐ हुए बादलों में मुँह छुपाऐ हुऐ ये पहाड़ कभी कुछ नहीं बोलेंगे