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Jill Shah

Others

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Jill Shah

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गुरूर

गुरूर

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हमारा ही एक अंश है,

क़ाबू में ना रहे तो बन जाता विध्वंस है ॥

नशीला होता है,

ज़हरीला बन जाता है….

गुमान इतना होता है, की मदहोश बन जाता है….

अक्सर,

होश आने तक सब ख़त्म हो जाता है,

तूफ़ान से भी गहरा असर छोड़ जाता है…

शीशे सा नाज़ुक ये जो गुरूर होता है,

अक्सर गहरे ज़ख़्म दे जाता है….

ऐ दिल ए नादान,

खुद पर थोड़ा क़ाबू रख ले….

मस्तक को थोड़ा पकड़ ले,

कही ऐसा ना हो की गुरूर सिर पर चढ़ जाए…

कही ऐसा ना हो एक गुरूर को मारने के लिए,

 कृष्णा को जन्म लेना पड़े…

और 

एक गुरूर को तोड़ने 

फिर से महाभारत रचनी पड़े ॥



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