गुलाब के फूल और गुलकंद
गुलाब के फूल और गुलकंद
बड़े असमंजस में खड़ी थी मैं ।
लिए हाथ में बगीचे के देसी गुलाब
सोच रही थी क्या करूंमैं।
न उनको फेंकने का दिल ना करे
तभी दिल के कोने से आवाज आई, जैसे फूल पुकार रहे हैं।
सोच क्या रही है विमला जो बचपन में करती आई है वही कर ना
फूल की पंखुड़ियां निकाल उनको पानी से साफ कर सुखाकर शक्कर मिला।
जो करती आई है गुलकंद के लिए वही करे ना।
हमको भी न्याय मिलेगा
तुमको भी न्याय मिलेगा।
और स्वादिष्ट गुलकंद मिलेगा।
मुरझाए फूलों को फेंकने का गम ना रहेगा।
जब स्वादिष्ट गुलकंद मुंह में घुलेगा।
जब मन आए जब अनारदाना गटागट तू बनाना
सबको शौक से स्वादिष्ट अनारदाना गटागट तू खिलाना ।