गीत
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मेरे मोहन मुरारी सुन तू झे मे कितना मनाऊँ रे कि तू मुझे मिल जाए
तेरी भक्ति मे खुद को मे कितना खुद को डुबाऊं रे कि तू मुझे मिल जाए
तेरी आदत है मेरी , कभी ये न छूटेगा
तेरी चरणो पे भगवन , मेरा अश्रु बरसेगा
तू बस इतना दया कर दे, तू मुझपे ये करम् कर दे कि,, तू मुझे मिल जाए
मेरे बांके बिहारी सुन तू झे मे कितना मनाऊँ रे कि तू मुझे मिल जाए।