भ्रमित है मानव, संभवतः, क्या, क्यों और कहाँ, होना है स्थिर मुझको अंततः...! भ्रमित है मानव, संभवतः, क्या, क्यों और कहाँ, होना है स्थिर मुझको अंततः...!
दुःख की, बस हर व्यक्ति नयनों में आँसू भर लाएगा। दुःख की, बस हर व्यक्ति नयनों में आँसू भर लाएगा।