भ्रमित है मानव, संभवतः, क्या, क्यों और कहाँ, होना है स्थिर मुझको अंततः...! भ्रमित है मानव, संभवतः, क्या, क्यों और कहाँ, होना है स्थिर मुझको अंततः...!