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Kapil Kumar Belgium

Others

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Kapil Kumar Belgium

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एक महिला के दिल की मेरी नजर से

एक महिला के दिल की मेरी नजर से

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अब हमारे पास है ही क्या बचाने के लिए

एक है तैयार दूजे को मिटाने के लिए


अब कहाँ रिश्ते हैं बाक़ी सिर्फ़ मतलब रह गए

कुछ न कुछ मतलब जरूरी है निभाने के लिए


हैं बहन, बेटी की इज्जत को दरिन्दे नोंचते

इनको 'औरत 'चाहिए बस फाड़ खाने के लिए


खत्म हर एहसास , रिश्ते दफन, बेशर्मी बची

क्या ये सब काफ़ी नही है शर्म आने के लिए


कौन है जिसको हँसी मेरे लबों पे चाहिए

सब रुलाने के लिए हैं, बस रुलाने के लिए


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