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ए जिंदगी
ए जिंदगी
ए जिंदगी
ए जिंदगी
ए
जिंदगी
तू
भी
कितना
सताती है
कभी हँसाती
तो कभी
रुलाती है।
कितना
सीखा
तुझ से
फिर भी
तू
रोज
नया सिखाती है।
हर शय
पर मात
दे जाती है।
आसान
कहा
तुझे
अपना बनाना
तू रोज
नए रंग में
आती है।।
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