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Mahavir Uttranchali

Others

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Mahavir Uttranchali

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दस्तक

दस्तक

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काल के कपाल पर

अगर मेरी रचनाएँ दस्तक नहीं दे सकती

बुझे हुए चेहरों पर रौनक नहीं ला सकती

मजदूरों के पसीने का मूल्यांकन नहीं कर

सकती

शोषण करने वालों का रक्त नहीं पी सकती


तो व्यर्थ है मेरा कवि होना

इन रचनाओं का कागज़ पर आकार लेना

और व्यर्थ है आलोचकों का

इन्हें महान रचनाएँ कहकर संबोधित करना


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