दोस्तों की महफिल
दोस्तों की महफिल
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ये हकीकत है
की सच्चे दोस्त बहुत कम है
परंतु दोस्तों से ही बनती
महफ़िल लाजवाब है
पुरानी ही सही
परंतु अब भी नौजवान है,
क्योंकि नाराजगी की जगह हम
याराना फरमाया करते थे
दुश्मनी को करके बाजू
दोस्ती को गले लगाया करते थे।
जो हो जीने की वजह
वे हर पल याद आते हैं
अब तो एक दूजे को बस
वही याद दिलाया करते हैं,
जो कभी हम सब
मिलकर किया करते थे।
