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Anshul Jain

Others

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दिल किसी का मत दुखाओ

दिल किसी का मत दुखाओ

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दिल किसी का मत दुखाओ, मत सताओ 
ज़िन्दगी तो मुस्कराने के लिये 
कर रहा सन्दल, पवन का रूप शीतल 
पुष्प जग को सुरभियों से भर रहा है 
कोकिलायें घोलतीं संगीत मीठा – 
कोई पर्वत बन के झरना, झर रहा है 
मिलन का सावन न बिन भीगे गंवाओ 
यह प्रणय मिलने मिलाने के लिये है 
घुन्गरुओं की छनछनाहट नाचती है 
तितलियां लिखतीं हैं कलियों पर उजाले 
कंगनों की खनखनाहट कह रही है 
दिन सुगन्धित है सभी अब आने वाले 
चीख छोड़ो, कुछ सुनहरे गीत छेड़ो, 
यह जन्म तो गुनगुनाने के लिये है 
फिर भला अंधियार क्या ठहरे कहीं भी 
आगमन हो जब धरा पर ज्योतियों का 
जब दिया भी जगमगाकर रौशनी से 
हार पहनाये गले में मोतियों का 
इस तरह तुम भी हृदय दीपक जलाओ 
जो भी पल हैं, जगमगाने के लिये है 

 


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