दीवाल घड़ी ( 39 )
दीवाल घड़ी ( 39 )
1 min
237
दीवाल पर टंगी घड़ी,
टक-टक आवाज करती,
सदैव वो चलती रहती,
न किसी से वो पूछती,
अपनी मस्ती में वो चलती,
रात हो या दिन हो
उसका काम है चलना,
घर में सबको समय पर
हर काम करवाती है,
बच्चों को समय पर स्कूल
मुझे भी ऑफिस का समय
बाकी घर वालों को भी
समय पर सोना-खाना यह याद दिलाती है,
वह हम सबको अपने चलने के संकेत से,
यह बताती है वो तुम भी हमेशा चलते रहो,
रोकने पर भी रुकता नहीं समय
यही संदेश सबको बताती है वो,
बात मेरी तुम मानो
करो तुम समय का सदुपयोग
और
कदर करो समय की,
यही सिख सिखलाती मेरे घर की दीवाल घड़ी!!