धर्म-पथ
धर्म-पथ
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जबतक मानवता रहेगी, तू मानव रहेगा,
जब आसुरी शक्ति प्रबल होगी,तो दानव बनेगा,
जब पाप की ज्वाला बढ़ चलेगी,
जब दुनिया त्राहिमाम-त्राहिमाम होगी,
तब बोल तू क्या करेगा ?
आत्मसमर्पण या संकटों में शांति-पाठ पढ़ेगा ?
पुन: तू शांति-प्रिय ही खड्ग को नमन करेगा,
स्मरण रख, पापियों के कंकाल से तू ही हवन करेगा,
तेरे मृदु-वचन कल अत्यंत कटु होंगे,
तेरे प्रिय प्रतीत होने वाले ही तेरे रिपु होंगे,
खोल आंख आज ही ढूंढ तिमिर में प्रकाश को,
प्रयत्न कर उड़ान का यदि स्पर्श करना आकाश को,
अन्यथा तेरे शीश धर से अलग हो जाएंगे,
लोग शांति-प्रिय नहीं,कायर की उपाधि दे जाएंगे,
इसलिए आज से ही सजग होजा,
चाहता उत्थान स्वयं का, तो वचनों पे मेरे अटल होजा।
