ऐ धरा, तू इतनी अशांत क्यों है, हाँ मानती हूँ कितना कष्ट है तेरे कण कण में. ऐ धरा, तू इतनी अशांत क्यों है, हाँ मानती हूँ कितना कष्ट है तेरे कण कण में.
आंखें बंद चट्टानी ज़ज्बात सुकून में लिपटी... वो कहानी .. आंखें बंद चट्टानी ज़ज्बात सुकून में लिपटी... वो कहानी ..