अग्नि मुख, सूर्य नेत्र हैं उनके प्राण से वायु प्रकट हुआ। अग्नि मुख, सूर्य नेत्र हैं उनके प्राण से वायु प्रकट हुआ।
मानो हजारों सूर्य उग आये शरीर की प्रभा उनकी थी ऐसी! मानो हजारों सूर्य उग आये शरीर की प्रभा उनकी थी ऐसी!
शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित कंस एक तो बली था स्वयं ही। शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित कंस एक तो बली था स्वयं ही।