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Mandeep Kaur Bharaj

Others

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Mandeep Kaur Bharaj

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देश प्रेम

देश प्रेम

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देश हमारा अमर रहे

खुशियों में ना अब सबर रहे

अब आंसू ना टपकाओ, देखो खुशियों को ना नजर लगे।


यह गाथा है हिंदुस्तान की,

जो बटता रहा, कटता रहा, हर पल छटता रहा,

धोखेबाजी, दगाबाजी में टूट गया,

आजादी का रास्ता छूट गया।


राम की धरती पर किया, रावण के वध का ऐलान,

उम्मीदों से उभरा, आजादी का लिया निशावर देश का वीर जवान।


गांधी की लाठी और शहीदों के खून ने लाया ऐसा तूफान, आजादी के नशे में धुत, एकजुट हुआ हिंदुस्तान।


गुलामी से किया इंकार, झूठ का ना देंगे हम साथ,

देश की आजादी को लगाया गले,

और फरेबियों को किया रफा दफा।


हुई जीत हमारी,

खुशियों से आंगन फिर खिल उठा।


इस गाथा का कोई अंत नहीं,

इस देश के प्यार की कोई सीमा चरण नई।


जय हिन्द।


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