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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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देश की खातिर ( 55 )

देश की खातिर ( 55 )

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देश की खातिर लड़ गए 

वह लोग और थे,

वतन पर जान न्योछावर कर गए 

वो लोग और थे,

कश्मीर की केसर 

क्यारियों में बो गये 

बारूद के बीज,

जाने कितने लाल खो गए 

माताओं के,

कितनी बहनों की 

कलाइयां सुनी हो गई,

जाने कितनी विधवाओं की

सूनी हो गई माँग,

तब जा कर मिला है 

यह आजादी का दिन,

हो रहा है हमें गर्व 

अपनी संस्कृति और संस्कारों पर,

आज हम जो मनाने जा रहे हैं 

स्वतँत्र दिवस ,

वह उन शहीदों के 

शहीद होने से है ,

हम खुशनसीब हैं कि 

आज याद करें उनकी कुर्बानी को,

जो कुर्बान हो गए 

कम उम्र में देश पर दे अपनी जान,

आओ हम मिलकर नाचे गाएं ,

आज सजी हैं आरती की थाल,

कश्मीर से कन्याकुमारी 

तक हो जय जय भारती,

जिन्होंने दी हैं प्राणों की 

आहुति आज याद कर लो,

पथ पर चले उनके बस याद 

रखो बात याद इतनी,

रहे सदा सलामत ये 

आजादी बस इतनी कर लो 

प्रतिज्ञा आज,

जय हिंद जय भारत !!



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