STORYMIRROR

ढूंढ रहा हूँ गूगल में

ढूंढ रहा हूँ गूगल में

1 min
708


मैं दुनिया की शक्लो सूरत, ढूंढ रहा हूँ गूगल में

क्या है इंसानों की फितरत, ढूंढ रहा हूँ गूगल में


कभी निर्भया सड़कों पर तो कभी घरों में लुटती है

कब महफूज़ रहेगी औरत, ढूंढ रहा हूँ गूगल में


हर दफ़्तर में बाबू अफ़सर हाथ पसारे बैठे हैं

काम कहां होगा बिन रिश्वत,ढूंढ रहा हूँ गूगल में


बचपन भारी बस्ता लादे घूम रहा है ट्यूशन पर

मैं बच्चों की शोख़ शरारत, ढूंढ रहा हूँ गूगल में


क्या कहती हैं हर मज़हब की ये तहरीरें, देखूँ तो

गुरवाणी, चौपाई, आयत ढूंढ रहा हूँ गूगल में


कहते हैं हर शय का गूगल मोल भाव बतलाता है

प्यार वफ़ा की क्या है कीमत,ढूंढ रहा हूँ गूगल में


Rate this content
Log in