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Vikrant Narkhede

Others

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Vikrant Narkhede

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डायरी और मैं

डायरी और मैं

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"बिना इस 'डायरी' के कुछ

बचा नहीं मेरे है मेरे पास...

तेरी यादों का पता नहीं ,

कब तेरे शहर छोड़ आया..!"


डायरी... एक ऐसी दोस्त

जो हम जी चुके है ,

उसे दोबारा झाँकने- देखने की

अनुमति होती है..बीता हुआ

ख़ुशी या ग़म का पल..

उसे याद रखने का ये मौका देती है..!


मेरी "चाह" को अपने अंदर समाए,

उन सभी लफ़्ज़ों को एक मौका देती है...

आसान नहीं होता एक शायर,

लेखक या कवि की मोहब्बत बनना..

जो ये बखूबी निभाती है..!


सारा हमारा दुःख ,दर्द , वो ख़ुशी के पल

सब अपने अंदर समां लेती है..

वैसे सच कहूँ तो बचपन से ही मेरा और

डायरी का 36 का आंकड़ा,

हस्ताक्षर इतना अच्छा न होने के कारण

इसमें लिखना कम ही था..

पर जब दुःख बांटने के लिए कोई न था ,

ये होती थी मेरी सबसे अजीज़ दोस्त"..


Anne Frank said "Paper has more

patience than a human.."

शायद ये बात सही लगने लगी और

वो जो कभी 36 का आंकड़ा रखतीं थी..

जिंदगी भर की साथी बन गयी..

आज भी कलाम और अल्फाज़ो को

अपना शस्त्र बनाकर हम

इस पर वार किया करते है..!

With love..."मेरी डायरी" 

    


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