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अनुभूति गुप्ता

Children Stories Inspirational

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अनुभूति गुप्ता

Children Stories Inspirational

चलो खोज लाए

चलो खोज लाए

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चलो खोज लाए थोड़ा सा प्रकाश

मुट्ठी भर आकाश

चूम लूँ गगन को 

मिल आऊँ सज़न को

कटते पेड़ों की वेदना पढ़ लूँ

अपने हृदय में सारा दर्द भर लूँ

मैं परिंदा इस गगन का

कैसे इंसान का गुनाह माफ कर दूँ

मेरे हिस्से न कुछ बचा है

ईश्वर ने कितना कुछ रचा है

मेरे पंखों में

आया बस खंडहर है

पलकों पर उतरा बवंडर है

पेड़ कटते जा रहे हैं

घोंसले उजड़े जा रहे हैं

तुम ही बताओ

कहाँ घर बनाऊँ

क्या खंडहर में बस जाऊँ..?


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