छुट्टियाँ
छुट्टियाँ
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आयी प्यारी छुट्टियाँ, बच्चों के मन को भाती हैं
नानी दादी मौसी बुआ सबको याद करवाती है
होली,दिवाली,गर्मी या सर्दी कोई भी हो अवसर
बच्चों को बस इंतज़ार हैं छुट्टियों को लेकर
चलो ना पापा घुमने अब तो जाएँगे हम
थोड़ा प्रकृति से रूबरू हों आयें अब
मन करता है चहों दिशा का लेलू मैं सारा ज्ञान
इन छुट्टियों में क्यूँ ना हम भी हों आए गाँव
दादी नानी का जन्म और रहन सहन
हरे खेत और नदियाँ प्यारी
बुलाते हैं लोग वहाँ के महान
जिन्होंने ज़िंदा रखा हैं अपनी परंपराओं को
लो हों जाए इन छुट्टियों में ये भी काम ।