चारपाई
चारपाई
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किस्से, कहानी का दौर गया
अब आ गयी मोबाइल है,
नया जमाना है बेड का
गुम हो गयी चारपाई है।
कभी दलान कभी छत पर
कभी आँगन में बिछती थी ,
फिर मेहमानों की खातिर
घर की चौखट से निकलती थी।
प्यार और सम्मान के लिए
है कितनी बार बिछाई गयी,
और फिर जाड़ों के बहाने
कितनी बार सरकाई गयी।
कितने ही पल जुड़े हुए है
चारपाई के पायों से,
फुरसत मिले अगर तुमको तो
पूछना अपनी यादों से।
लम्हे कितने उलझे हुए है
चारपाई के बांधो में,
वक्त मिले तो सुलझा लेना
बैठ के अपने प्यारों में ।।
