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Zankhana Vachhrajani

Others

4.0  

Zankhana Vachhrajani

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चाहत

चाहत

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उम्मीद थी, चाहत है, इन्तज़ार था ,

हवा है, गीली मिट्टी की महक है,

बादल की सवारी है, सितारे भी है,

वादा है मिलन का ईद के चाँद के साथ,

घर की डेली पर दस्तक हुई,

देखा की आसमान में चाँद आ रहा है,

श्रद्धा थी, दुआ थी मुक्कमल की,

जीवन है, सजना है, संवरना है,

शुक्रिया रब का जो कुबुल किया है,

एक चाँद गगन में जग में हँसाये सबको,

एक चाँद मुझे सुकून देने दस्तक दे रहा है,

धरा मगन हुई है बारिश की बुंदाबांदी से,

अधिक का भाव जब मिले सकल में सबको,

झंखना हरपल रहे ख़ुशहाल मुबारक दिल से.....




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