STORYMIRROR
बस याद...
बस याद है ( 61 )
बस याद है ( 61 )
बस याद है ( 61 )
खूब मचाई धूम
बचपन से
जवानी तक
खूब होलिका
जलाई
बीस -बरस तक
खूब खेला
मैं रंगों के साथ
मगर.....!
हुई है जब से
शादी हमारी
तब से
बस याद है
जलाना तो
सिर्फ
चूल्हा !!
More hindi poem from वैष्णव चेतन "चिंगारी"
Download StoryMirror App