बस मे नहीं
बस मे नहीं
1 min
1.3K
सोचा था तुम्हे
हमेशा अपने पास रखूं
अपनी हाथो की
लकीरों मे बसा के रखूं
पर लकीरों में
बसी तकदीर कहाँ
अपने बस मे होती हैं
जैसे प्यार करना
और उसे पाना
हर बार हमारे बस में
नहीं होता
जैसे कहने को तो हम
बहोत सी बाते सोचते हैं
पर कभी-कभी उन बातों
पर हमारा बस नहीं होता,
जैसे करने का तो हम
सबकुछ सोचते हैं पर
सबकुछ करना हमारे
बस में नहीं होता,
बस हमारा रिश्ता भी
कुछ ऐसा ही है
कहने को तो
हम दोनो इसमे बंधे हे
पर एक बंधन मे
कभी नहीं बंध सकते
शायद इस रिश्ते
को बनाना और संजोना
हमारे बसमे था,
पर इसे हमेशा के लिए
बनाए रखना
हमारे बस मे नहीं