बप्पा नगरी भोले भंडारी
बप्पा नगरी भोले भंडारी
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
विधि विधान विधाता ब्रह्म
नर नारायण पालनकर्ता
काम क्रोध लोभ ईर्ष्या
संगहारक त्रिनेत्र त्रिलोचन
देव दानव महादेव उपासक
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
सती पार्वती काली उमा
सहधर्मिणी गंगा पांचवी
अर्धनारेश्वर विश्वनाथ विश्वम्भरेश्वर
मुरुगन बप्पा अशोकसुंदरी
शिव पार्वती तीन संतान
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
शिव योगी ध्यान मगन
मादकता डूबे आनंद रुद्र
उल्लास निश्छल आशुतोष
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
शिव शंकर उग्र रूप
क्रोधित स्वरूप तांडव
शंभो शिव पावन सौम्य
दुर्लभ सुंदर शिव स्वरूप
गिरीश शिव कैलाश पर्वत
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
आदि योगी प्रथम योगी
योग मुलदाता योगेश्वर
प्रथम धर्म गुरु धर्मेश्वर
आदि योगी योग अवधारणा
भूत पिचाश ईश्वर भूतेश
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
शून्य से परे जो मिले
जो नहीं वो हैं शिव
अस्तित्व नहीं पर धुंधला
अपारदर्शी शिव शंभो
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
शिव अनमोल अनोखे
स्त्रीय गुण सबके साथ
उन्मत्त नृत्य आनंदित्त
परम विध्वंसक अघोरी
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
दिखे माथे त्रबंक निशान
तीसरी नेत्र माथे दरार
बोध ज्ञान महाज्ञान आयाम
तीसरी नेत्र द्वार खुली
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
सोमसुंदर शिखा चंद्र
शिव संग वाहन नंदी
त्रिशूल जीवन चक्र
रुद्र हर सदाशिव
गले कुंडलित सर्प
नंदी सवार त्रिशुलधारी
शिखा चंद्र गंगाधर
नीलकंठ कुंडलित सर्प
डुगडुगी बजा शोर मचाते
बप्पा नगरी भोले भंडारी
स्मरण मात्र मिले मुक्ति!
