कईं बार जी करता है अपनी खुली छत की जवानी को'Boundary-Wall' की लगाम से बाँध दूँ कईं बार जी करता है अपनी खुली छत की जवानी को'Boundary-Wall' की लगाम से बाँध दूँ
इश्क़ ऐसा कैद था पिंजरे में की कभी आजाद ही ना हुआ। इश्क़ ऐसा कैद था पिंजरे में की कभी आजाद ही ना हुआ।