बकरीद पर विशेष
बकरीद पर विशेष
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या खुदा मुझे माटी से अच्छी तरह जोड़ दे
हरा सावन, पतझड़, बहार, बसंत, होने दे।
मुझे मिट्टी की सोंदी खुशबू में खोने दे,
उससे कुछ कहने दे, कुछ सुनने दे।
बाकी बातें बस रहने दे
इस मिटटी में घुले आंसू हँसता बचपन
जरा ढूंढने दे।
मस्तक नीचा कर वीरों के ऊंचे कटे शीश
जरा पकड़ने दे
मिटटी का चंदन लगने दे
भुजाओं में थोड़ा और रक्त चढ़ने दे।
मेरी माटी, मेरे देश की माटी से आज सब कहने दे
कह दूँ उससे ईद मुबारक, हम फिर से जुड़ेंगे, मिलेंगे।
थोड़ा आस तो उसमे भरने दे।
